इन पत्थरों से बनवाकर घर अपना..खुद को खुदा महसूस करते हैं...
चाह कर भी रोक नहीं पाते इन मासूमों के जुल्म को ....
दिल खुद का हम पत्थर सा बनालेते हैं .......
ऐसा हम कैसे कर सकते हैं ????
आप का - पार्थ
No comments:
Post a Comment