Saturday, March 13, 2010

कोई मातम न कोई रोना हुआ
मेरे जाने पर .......
वक़्त का पहिया चलता रहा
मेरे जाने पर........
गमो से छुटा नाता....यादों से हुई दोस्ती
मेरे जाने पर........
सुबह से हे पंछियों का जरी रहा उड़ना
मेरे जाने पर.......

के तस्वीर देख कर लोग याद करने लगे मुझे
किताबो और कहानियो मैं तलश ने लगे मुझे
किताबी के चंद लाइनओ मैं समेट कर रख दिया
दुनिया वालो ने .....
लोग भूल कर भी भुलान न सके मेरी बातें
मेरे जाने पर........

कभीं फूलो से गुफ्तगू हुआ करती थी मेरी ,
बे दर्द दुनिया वालो ने कुछ रंगीन फूल
तोड़ कर रख दिया मेरी kabra मैं
मेरे जाने पर......
कोई मातम न कोई रोना हुआ
मेरे जाने पर ......