Sometimes it is hard to introduce yourself because you know yourself so well that you do not know where to start with. Let me give a try to see what kind of image you have about me through my self-description. I hope that my impression about myself and your impression about me are not so different. Here it goes.
Monday, September 6, 2010
शर्मनाक खेल क्रिकेट
शर्मनाक खेल क्रिकेट में मैच फिक्सिंग से बड़ी बीमारी के रूप में उभरी स्पॉट फिक्सिंग को लेकर सामने आए एक अन्य खुलासे के बाद यह खेल और अधिक दागदार नजर आने लगा है। हालांकि स्पॉट फिक्सिंग करने वाले पाकिस्तानी क्रिकेटर खुद को पाक-साफ बताने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन एक तो वे पैसे के लेन-देन में लिप्त पाए गए हैं और दूसरे उनकी विश्वसनीयता इतनी गिर चुकी है कि कोई भी उन पर यकीन करने वाला नहीं है। जिस तरह पाकिस्तानी क्रिकेटरों की सफाई पर भरोसा करना मुश्किल है उसी तरह वहां के क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों पर भी। पाकिस्तान क्रिकेट अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए जूझ रहा है, लेकिन वहां के क्रिकेट बोर्ड के अधिकारी इस जुगत में लगे हैं कि कैसे स्पॉट फिक्सिंग के इस पूरे मामले को पाकिस्तान के खिलाफ साजिश करार दिया जा सके। कहीं यह इसलिए तो नहीं हो रहा कि क्रिकेट के इस शर्मनाक खेल में किसी न किसी स्तर पर वे स्वयं भी शामिल हैं? वैसे भी यह सहज नहीं जान पड़ता कि किसी क्रिकेट टीम के सदस्य स्पॉट फिक्सिंग करने और मैच हारने में जुटे रहें और टीम प्रबंधन को इसकी भनक तक न लगे। एक तरह से यह असंभव सी बात है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों ने स्पॉट फिक्सिंग को लेकर जिस तरह दूसरों को दोषी बताने की कोशिश की उससे तो यह लगता है कि इस देश ने अपनी हर समस्या के लिए औरों को जिम्मेदार ठहराने की नीति अपना ली है। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई क्रिकेट में भूचाल लाने वाले स्पॉट फिक्सिंग के इस मामले की जांच शुरू कर रही है और जांच होने तक तीन क्रिकेटरों को निलंबित कर एक तरह से अप्रत्याशित सख्ती का परिचय दिया गया है, लेकिन इस सबके बावजूद यह कहना कठिन है कि वह क्रिकेटरों और सट्टेबाजों की साठगांठ को ध्वस्त करने में सफल साबित होगी। इसके लिए उसे न केवल और अधिक सख्ती का परिचय देना होगा, बल्कि कठोर नियम-कानून भी बनाने होंगे। इन नियम-कानूनों के दायरे में क्रिकेटरों के साथ-साथ टीमों के प्रबंध तंत्र को भी शामिल करना होगा। आईसीसी को इस सवाल का जवाब तलाशना होगा कि वह फुटबाल की सर्वोच्च संस्था फीफा के समान क्रिकेट की निगरानी और नियमन क्यों नहीं कर पा रही है? यह एक तथ्य है कि आईसीसी और विभिन्न देशों के क्रिकेट बोर्ड इस खेल में घर कर गई बुराइयों को दूर करने में असफल ही अधिक हैं। इस खेल में जैसे-जैसे पैसा आता जा रहा है, भ्रष्टाचार की जड़ें गहराती जा रही हैं। यदि क्रिकेट की लोकप्रियता और उसका मान-सम्मान बनाए रखना है तो सभी देशों के क्रिकेट प्रशासकों को एकजुट होकर ऐसी कोई व्यवस्था करनी होगी जिससे यह अद्भुत खेल सट्टेबाजों के हाथों का खिलौना न बनने पाए। क्रिकेट प्रशासकों के साथ-साथ संबंधित देशों अर्थात क्रिकेट खेलने वाले देशों की सरकारों को भी चेतने की जरूरत है। यह सही है कि वे क्रिकेट प्रशासकों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं, लेकिन उन्हें यह तो सुनिश्चित करना ही होगा कि किसी भी खेल से खिलवाड़ न होने पाए। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि क्रिकेट में किस्म-किस्म की सट्टेबाजी बढ़ती चली जा रही है और यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय माफिया सरगनाओं का हाथ है।
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