Sometimes it is hard to introduce yourself because you know yourself so well that you do not know where to start with. Let me give a try to see what kind of image you have about me through my self-description. I hope that my impression about myself and your impression about me are not so different. Here it goes.
Friday, July 30, 2010
Tuesday, July 27, 2010
देश का क्या हाल है ..
आज दिन भर काफी बारिश हुई यहाँ ...सारा दिन टीवी मैं समाचार देखता रहा.सोचता रहा मेरे देश के बारे मैं जी हाँ मेरे देश के बारे मैं....क्यूँ के मुझ को लगता है की आप सब तो यहाँ पर मेहमान है , आप को पता तो होता के मेरे घर मैं आप को खिलने के लिए खाना है भी या नहीं ??? क्यूँ की ऐसा तो सिर्फ मेहमान ही करते हैं उसको सिर्फ अपनी मेहमान नजाज़ी से हे मतलब रहता है...क्यूँ कोई नहीं सोचता इस देश के बारे मैं ? आज़ादी से पहले तो हम ऐसे नहीं थे ? तो आज हम कहलाने को भारतीय क्यूँ है ?? मैंने दो लाइन लिखा है ......
देश का क्या हाल है....
हल तो बेहाल है
हर तरफ खुशियों मैं भी
कर रही सवाल है॥
थालिओं रोटियां भी
कर रही बवाल है
देश का क्या हाल है॥
गेहूंयों की बोरियां
पड़ी यहाँ ..पड़ी वहां।
सड़ रहीं गेहूं मैं
बढ रहा सवाल है..बवाल है।
सब यहं गरीब है, सब वहां आमिर है
देख कर नया तमाशा
वह दे रहे ताल है
देश का क्या हाल है
हल तो बेहाल है
खेल पर खर्च वहां
पांच हज़ार करोड़ है
पर यहाँ भूक से पेट मे
मरोर है पेट मैं मरोर है।
हर समय भूक पर
उठ रहे सवाल है
देश तो बेहाल है
भूक से महंगाई से
देश तो बेहाल
हर कोई यहाँ कर रहा
सवाल है सवाल है॥
कोन यहाँ आमिर है
कोन यहं गरीब है
जो यहाँ दबंग है
वह यहाँ पे वीर है ....
आप का- पार्थ
देश आज कर रहा सवाल है...
आज दिन भर काफी बारिश हुई यहाँ ...सारा दिन टीवी मैं समाचार देखता रहा.सोचता रहा मेरे देश के बारे मैं जी हाँ मेरे देश के बारे मैं....क्यूँ के मुझ को लगता है की आप सब तो यहाँ पर मेहमान है , आप को पता तो होता के मेरे घर मैं आप को खिलने के लिए खाना है भी या नहीं ??? क्यूँ की ऐसा तो सिर्फ मेहमान ही करते हैं उसको सिर्फ अपनी मेहमान नजाज़ी से हे मतलब रहता है...क्यूँ कोई नहीं सोचता इस देश के बारे मैं ? आज़ादी से पहले तो हम ऐसे नहीं थे ? तो आज हम कहलाने को भारतीय क्यूँ है ?? मैंने दो लाइन लिखा है ......
देश का क्या हाल है....
हल तो बेहाल है
हर तरफ खुशियों मैं भी
कर रही सवाल है॥
थालिओं रोटियां भी
कर रही बवाल है
देश का क्या हल है॥
गेहूंयों की बोरियां
पड़ी यहाँ ..पड़ी वहां।
सड़ रहीं गेहूं मैं
बढ रहा सवाल है..बवाल है।
सब यहं गरीब है, सब वहां आमिर है
देख कर नया तमाशा
वह दे रहे ताल है
देश का क्या हल है
हल तो बेहाल है
खेल पर खर्च वहां
पांच हज़ार करोड़ है
पर यहाँ भूक से पेट मे
मरोर है पेट मैं मरोर है।
हर समय भूक पर
उठ रहे सवाल है
देश तो बेहाल है
भूक से महंगाई से
देश तो बेहाल
हर कोई यहाँ कर रहा
सवाल है सवाल है॥
कोन यहाँ आमिर है
कोन यहं गरीब है
जो यहाँ दबंग है
वह यहाँ पे वीर है ....
आप का- पार्थ
Friday, July 23, 2010
Tuesday, July 20, 2010
Child labor is a very complicated development issue, effecting human society all over the world. It is a matter of grave concern that children are not receiving the education and leisure which is important for their growing years, because they are sucked into commercial and laborious activities which is meant for people beyond their years. According to the statistics given by ILO and other official agencies 73 million children between 10 to 14 years of age re employed in economic activities all over the world. The figure translates into 13.2 of all children between 10 to 14 being subjected to child labor.
Child labour is also prevalent in rich and industrialized countries, although less compared to poor nations. For example there are a large of children working for pay at home, in seasonal cycles, for street trade and small workshops in Southern Europe. India is a glaring example of a nation hounded by the evil of child labor. It is estimated that there are 60 to 115 million working children in India- which was the highest in 1996 according to human rights watch.
-पार्थ
Child labour is also prevalent in rich and industrialized countries, although less compared to poor nations. For example there are a large of children working for pay at home, in seasonal cycles, for street trade and small workshops in Southern Europe. India is a glaring example of a nation hounded by the evil of child labor. It is estimated that there are 60 to 115 million working children in India- which was the highest in 1996 according to human rights watch.
-पार्थ
यह कैसा इंसाफ ...
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