क्या हम सब को यह देख कर चुप रहना चहिये.अगर यह घोटाला हुआ है तो इसके लिए जिमेदार हम खुद है .क्या हो गया है हमारी आवाज़ को ? कहाँ गई वह आवाज़ जिसने हम को आज़ादी दिलाई थी ??? क्या हमारा खून ठंडा पड़ गया है ?? या हमको इसकी आदत हो गई है ?? सायद हम आपने आनेवाले समय को नहीं देख रहे है ......
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